किन 3 प्रकार के लोगों को चाणक्य ने बताया है धरती पर बोझ, जानें

रिपोर्ट : रितिका आर्या
नई दिल्ली : कहा जाता है कि हर इंसान का जन्म किसी ना किसी मकसद और काम को लेकर होता है जिसे उसे अपने जीवन में पूरा करना होता है लेकिन बहुत से ऐसे मूर्ख और अज्ञानी भी हैं जिनके जीने का मकसद नहीं होता। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति शास्त्र में ऐसे ही लोगों का वर्णन किया है जिनका धरती पर होना बोझ के समान है।
मांसभक्षै: सुरापानै: मूर्खेश्चाऽक्षरवर्जिते:।
पशुभि: पुरुषाकारैर्भाराक्रान्ताऽस्ति मेदिनी।।
अपने श्लोक के माध्यम से आचार्य चाणक्य ने 3 लोगों को धरती का बोझ बताया है। चाणक्य का कहना है कि जो लोग मांस खाते हैं, मदिरा-पान या किसी तरह का नशा करते हैं, इसके अलावा जो लोग मूर्ख हैं। वो सभी इस धरती पर बोझ के समान है। शास्त्रों के अनुसार जीवन हत्या को महापाप माना गया है।
* आचार्य चाणक्य ने किसी जीव की हत्या कर उसका भक्षण करने को भी गलत माना है। चाणक्य का मानना है कि जो लोग जीव की हत्या करते हैं ऐसे लोग धरती पर बोझ है। चाणक्य का कहना है कि इंसान को किसी भी जीव की हत्या करने का कोई अधिकार नहीं है। जब तक जीव उस इंसान को नुकसान ना पहुंचाएं।
* इसके अलावा आचार्य चाणक्य ने उन लोगों को धरती पर बोझ बताया है जो लोग शराब पीते हैं या फिर किसी प्रकार का नशा करते हैं। क्योंकि नशे की स्थिति में इंसान सही गलत का ज्ञान खो बैठता है। ज्यादातर अपराध भी नशे की हालत में ही किए जाते हैं इसलिए ऐसे इंसानों को धरती पर बोझ बताया गया है।
* आचार्य चाणक्य ने मूर्ख लोगों को भी धरती का बोझ बताया है क्योंकि मुर्ख इंसान परेशानियां कम करने के बजाय बढ़ाते हैं। चाणक्य के अनुसार ऐसे लोग देखने में तो इंसान की तरह होते हैं लेकिन असल में वह पशु यानी जानवर होते हैं। चाणक्य कहते हैं कि इस तरह के लोगों से ना तो घर परिवार और ना ही समाज को कोई लाभ होता है।