आंखों के लिए फायदेमंद है यह चावल, और भी कई गुणकारी फायदे

 
आंखों के लिए फायदेमंद है यह चावल, और भी कई गुणकारी फायदे

नई दिल्ली : भारत विश्व में चावल (RICE ) के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक हैभारत में चावल की पैदावार 105 मिलियन टन वार्षिक अनुमानित उत्पादन के साथ खेती की जाती है। चावल का चलन दक्षिण भारत में अधिक है । वहीं  देश में चावल से भात, खिचड़ी सहित काफी सारे पकवान बनते है । आपने चावल की तमाम किस्में खाई होंगी और सबसे ज्यादा  किसानों को खेतों में सफेद रंग के चावल की ही पैदावार करते देखा होगा । क्या आपने कभी काले चावल के बारे में सुना है? यह जानकर जरूर अचम्भा होगा, लेकिन चावल की कई प्रजातियों में यह भी एक प्रजाति है । लेकिन छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के किसानों ने चावल की एक अलग से खेती की है किसानों ने काले चावल (Black rice) की खेती करके  विदेशों तक छत्तीसगढ़ का नाम रोशन कर दिया है । नतीजा यह निकला है कि किसान रातों-रात मालामाल हो रहे हैं। देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी काले चावल की डिमांड आ रही है।

काले चावल की शुरुआत दो साल पहले समाजसेवी संस्था बुखरी गांव विकास शिक्षण समिति ने कर दी थी। इस संस्था की पहल पर जिले के करतला ब्लॉक में रहने वाले गिनती के किसानों ने दस एकड़ में काले चावल की फसल लगाई थी । हाथों हाथ फसल सामान्य धान से दोगुने कीमत पर बिक गई। इससे प्रोत्साहित होकर पिछले साल 100 एकड़ में करीब 25 टन काले चावल का उत्पादन किया गया। इसे कोलकाता की एक ट्रेडिंग कंपनी ने खरीद लिया। इस साल इस क्षेत्र के किसान बेहद उत्साहित हैं। करीब 250 एकड़ में ब्लैक राइस की खेती की जा रही। इससे 50 टन ब्लैक राइस का उत्पादन होगा। समिति के अध्यक्ष सूर्यकांत सोलखे ने बताया कि नाबार्ड से मिली पद्धति की ट्रेनिंग के बाद किसानों ने फसल लेना शुरू किया। किसानों की सोसाइटी पैकेट बनाकर भी बेच रही है। जिससे किसान 100 रुपये किलो तक लाभ कमा रहे है। पश्चिम बंगाल की एक ट्रेडिंग कंपनी ने 25 टन ब्लैक राइस का ऑर्डर किया है। दक्षिण भारत की ट्रेड कंपनियां भी ब्लैक राइस के लिए संपर्क कर रही हैं। बड़े शहरों में यह चावल 400 रुपये किलोग्राम तक बिक रहा है।

कार्बोहाइड्रेट से मुक्त इस चावल को शुगर पेशेंट भी खा सकते हैं। हृदय के लिए भी फायदेमंद है। यह कोलेस्ट्राल के स्तर को भी नियंत्रित करता है।  आंखों के लिए भी फायदेमंद है। इंडोनेशिया समेत कई देशों में भी इस ब्लैक राइस की डिमांड तेजी से बढ़ रही। इस वजह से इस गुणकारी चावल की डिमांड महानगरों में अच्छी खासी है। लोकल बाजार में यह चावल भले ही 150 से 200 रुपये प्रति किलो बिक रहा हो, लेकिन ऑनलाइन 400 रुपए प्रति किलो मूल्य है। कोरोना काल की वजह से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने की सलाह चिकित्सक दे रहे हैं। 

बता दें कि ब्लैक राइस को छत्तीसगढ़ में करियाझिनी के नाम भी जाना जाता है। यह प्रजाति काफी पुराना है। किवदंति है कि खोदाई के दौरान हंडी में धान मिला था। उसके बाद से इसकी फसल लेनी शुरू की गई थी। सामान्य चावल के मुकाबले ब्लैक राइस को पकने में ज्यादा वक्त लगता है। करीब छह से सात घंटे पानी में भिगाकर रखा जाए, तो जल्दी पक जाता है। यह चावल  सैनिकों को  खिलाया जाता था, ताकि उनकी स्वास्थ्य बेहतर रहे और युद्ध में अच्छा प्रदर्शन कर सकें।

जानिए ब्लैक राइस के  फायदे                                                   

हृदय को स्वस्थ और मजबूत रखने के लिए इसका इस्तेमाल फायदेमंद है। इसमें मौजूद फायटोकेमिकल कोलेस्ट्राल के स्तर को नियंत्रित करते हैं और बुरे कोलेस्ट्राल को घटाते हैं। साथ ही यह हृदय की धमनियों में अर्थोस्क्लेरोसिस प्लेक फर्मेशन की संभावना कम करता है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक की संभावना भी कम होती है।

काले चावल मोटापा कम करने के लिए लाभदायक हैं।

भरपूर मात्रा में फाइबर मौजूद होने से कब्ज जैसी समस्याओं को समाप्त करता है।

काले चावल में एंथोसायनिन नामक एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में मौजूद होता है जो कार्डियोवेस्कुलर और कैंसर जैसी बीमारियों से बचाने में सहायक है। यह प्रतिरोधक क्षमता में भी इजाफा करता है।

ये आपकी त्वचा व आंखों के साथ ही दिमाग के लिए फायदेमंद होता है।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार पहले ही परंपरागत धान की खेती की जगह अन्य फसलों की ओर किसानों का रुझान बढ़ाने की दिशा में प्रयासरत है।  सामान्य धान की तरह ही इसकी खेती की जाती है। 90 से 110 दिन में फसल पक कर तैयार हो जाता है।  ब्लैक राइस की पैदावार लेने वाले किसानों को विभाग की तरफ से सहयोग किया जा रहा। आने वाले समय में इसे बढ़ावा देने किसानों को और अधिक प्रेरित किया जाएगा, ताकि व्यावसायिक लाभ उठा सकें।

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