बच्चों को पढ़ाने के लिए नहीं था ट्राइपॉड तो टीचर ने ये क्या बना डाला, अब वायरल हो रही है तस्वीरें

 
बच्चों को पढ़ाने के लिए नहीं था ट्राइपॉड तो टीचर ने ये क्या बना डाला, अब वायरल हो रही है तस्वीरें

रिपोर्ट: स्वाती सिंह

नई दिल्ली: इस कोरोना संकट के समय सभी अपने-अपने घरों में हैं। बड़े बड़े ऑफिस बंद हो गए, राजनीतिक कार्यालय बंद हो गए लेकिन अगर कोई इस कोरोना काल में भी काम करता रहा तो वह है शिक्षक। जी हां टीचर्स ने इस कठिन समय में अपना काम नहीं बंद किया बल्कि अपने काम का तरीका बदल दिया है। अब स्कूल में ब्लैकबोर्ड की जगह ये सभी टीचर मोबाइल से बच्चों को डेली क्लास दे रहे हैं। ये वो टीचर हैं जिन्होंने कभी अपने इस पूरे समय में इतनी टेक्नॉलीजि का इस्तेमाल नहीं किया था लेकिन अब इस संकट के समय में बच्चों की पढ़ाई न रुके और उनका करियर न खराब इसलिए हर रोज नई चीजें सीख कर बच्चों को ऑनलाइन क्लास दे रहे हैं। हमने कई स्टोरी देखी होगीं जिसमें शिक्षक समान के अभाव के चलते किसी तरह इन बच्चों को क्लास दे रहे हैं अब एक और ऐसी ही घटना सामने आई है जहां इस महिला टीचर के पास पढ़ाने केे लिए पर्याप्त सामान नहीं है लेकिन फिर भी वह बच्चों को लगातार क्लास दे रही है।

ये शिक्षक सुविधाओं की कमी के बाद भी बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं अब इसके लिए भले ही उन्हें नई चीजे अपनानी पड़ रही हैं। एक ऐसी ही टीचर की कठिन जीवन की कहानी उनके पति ने सुनाई । एक पति ने सोशल मीडिया पर डाला की उनकी टीचर पत्नी ने उनसे ट्राईपॉड खरीदने के लिए कहा था लेकिन वो ट्राईपॉड लाना भूल गए। पति तो ट्राईपॉड नहीं ला पाए लेकिन उनकी टीचर पत्नी ने अपनी क्लास नहीं बंद की और न ही इस ऑर्डर का इंतजार किया। उन्होंने  अपने घर में पड़े समान का स्तेमाल करते हुए एक जुगाड़ु ट्राईपॉड बना डाला। जी हां एक आधार के रूप में अमेज़ॅन डिलीवरी बॉक्स का उपयोग करके उसने शीर्ष पर एक प्लास्टिक वेंटिलेशन पाइप डाला। इसके लुक से ऐसा लगता है कि उसने पाइप के ऊपर के हिस्से में खांचे को काट दिया, ताकि फोन को दबाए रखने में मदद मिल सके और दिन को बचाने के लिए एक DIY ट्राइपॉड बनाया गया। ऐसे करके उन्होंने अपने फोन को रखकर बच्चों को ऑनलाइन क्लास देने का एक यंत्र बना डाला औऱ उसी से बच्चों को पढ़ा भी रही थीं।

सोशल मीडिया पर ये पोस्ट वायरल हो गया। लोग पति से ये पूछ रहे हैं कि क्या उन्होंने ट्राईपॉड मंगाया। खैर इन सकते बीच मिसेज मजहर को सलाम जो सुविधा नहीं होने पर भी अपने बच्चों के लिए लगी हुई हैं।

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