दावा : पौधे लगाकर पर्यावरण को हो रहा नुकसान !

नई दिल्ली : आपने बचपन से सुना होगा कि पौधे लगाकर हरियाली तो बनी रहती है, साथ ही पर्यावरण भी स्वच्छ रहता है। समय-समय पर सरकारों द्वारा भी पौधारोपण अभियान चलाया जाता है लेकिन एक स्टडी में ये खुलासा हुआ है की पौधरोपण की खराब और कमजोर नीतियों की वजह से लोगों के टैक्स के जमा पैसे बर्बाद हो रहे हैं। एक जैसे पौधा लगाने की वजह से बाकी पेड़ों की प्रजातियां खत्म होती जा रही है। पर्यावरण में कार्बन जरूरत के मुताबिक अधिक हो रहा है।
बता दें, ये स्टडी साइंस मैगजीन नेचर सस्टेनेबिलिटी में प्रकाशित हुई है। इस स्टडी के अनुसार, प्राकृतिक जंगलों की तुलना में पौधरोपण अभियान में लगाए जाने वाले पौधों से पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। ये पौधें जैव-विविधता को खत्म कर रहे हैं।
इंडियास्पेंड में छपी खबर के अनुसार, जब जंगल उगते हैं तो वो कार्बन डाईऑक्साइड जैसे ग्रीनहाउस गैसों को कम करने का काम करते हैं साथ ही क्लाइमेट चेंज को भी रोकते हैं इसके अलावा दुनिया में कार्बन सिंक यानी कार्बन को भी कम करने का काम करते हैं। लेकिन जब पौधरोपण किया जा रहा है तो इसका उल्टा ही हो रहा है।
बता दें, वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की योजना है कि पूरी दुनिया में जहां भी जंगलों की संख्या कम हुई है उन स्थानों पर 1 लाख करोड़ पौधे लगाए जाएं। साथ संयुक्त राष्ट्र ने बॉन चैलेंज शुरू कर रखा है। बॉन चैलेंज में 2030 तक दुनिया भर के 350 मिलियन हेक्टेयर जमीन पर पौधरोपण करना है।
पुराने जंगलों को बचाने के बजाय इस तरीके के पौधरोपण अभियान मोनोकल्चर को बढ़ावा दे रहे हैं। मोनोकल्चर यानी एक जैसे पौधे लगाने की परंपरा। या फिर एक ही प्रजाति के पौधे लगाना। इससे जैव-विविधता खत्म हो रही है। ऐसे पौधरोपण धरती पर ग्रीनहाउस गैस कम करने के बजाय बढ़ा रहे हैं।
स्टडी में बताया गया है कि जिस तरह का फायदा इस तरह के पौधरोपण से होना चाहिए वो नहीं हो रहा है। बल्कि, इससे नुकसान हो रहा है। पौधरोपण में लगाए गए पौधों से जंगल, घास के मैदान और सवाना इकोसिस्टम बदल रहा है। सिर्फ, एक ही तरह के पौधों से बाकी पेड़-पौधों की प्रजातियां खत्म होती हैं।