किसान आंदोलन को लेकर पीएम मोदी का विपक्षियों पर बड़ा हमला, खुद के जिंदा रहने की खोज रहे जड़ी-बूटी

नई दिल्ली : संसद के दोनों से पारित तीनों कृषि कानून को लेकर देश में जारी किसान आंदोलन के तकरीबन 1 माह हो चुके है, लेकिन अभी भी किसान सीमाओं पर डटे हुए है। वहीं सरकार भी लगातार पत्र लिखकर किसानों को बात करने के लिए बुला रहीं है, लेकिन उनका कहना है कि वे सरकार के किसी शर्त को नहीं मानेंगे। वे अपने तीनों कृषि कानून की मांग पर डटे हुए है।
आपको बता दें कि पीएम मोदी ने आज पूर्व स्व. प्रधानमंत्री अटल जी की जयंती पर किसानों के खातों में किसान सम्मान निधि योजना को भेजा। इस दौरान जहां उन्होंने किसानों से बात की, वहीं उन्होंने विपक्षियों पर भी जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि मुझे आज इस बात का अफसोस है कि मेरे पश्चिम बंगाल के 70 लाख से अधिक किसान भाई-बहनों को पीएम किसान सम्मान निधि योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। बंगाल की सरकार के राजनीतिक कारणों से उनके राज्यों के किसानों को पैसे नहीं मिल रहे हैं।
जो दल पश्चिम बंगाल में किसानों के अहित पर कुछ नहीं बोलते, वो यहां किसान के नाम पर देश की अर्थनीति को बर्बाद करने में लगे हुए हैं। ये दल मंडियों की बात कर रहे हैं और बड़ी-बड़ी हेडलाइन लेने के लिए भाषण दे रहे हैं।“
पीएम ने कहा कि वही दल जिन्होंने बंगाल को बर्बाद किया, केरल के अंदर उनकी सरकार है। इससे पहले जो 50-60 साल राज करते थे उनकी सरकार थी केरल में APMC मंडियां नहीं हैं। केरल में आंदोलन करके वहां APMC शुरू कराओ। उन्होंने कहा कि किसानों के नाम पर अपने झंडे लेकर जो खेल खेल रहे हैं, अब उनको सच सुनना पड़ेगा। ये लोग अखबार और मीडिया में जगह बनाकर, राजनीतिक मैदान में खुद के जिंदा रहने की जड़ी-बूटी खोज रहे हैं। लेकिन देश का किसान उनको पहचान गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये वही लोग हैं जो वर्षों तक सत्ता में रहे। इनकी नीतियों की वजह से देश की कृषि और किसान का उतना विकास नहीं हो पाया जितना उसमें सामर्थ्य था। पहले की सरकारों की नीतियों की वजह से सबसे ज्यादा बर्बाद छोटा किसान हुआ। उन्होंने कहा कि आज जो किसानों के लिए इतने आंसू बहा रहे हैं, इतने बड़े-बड़े बयान दे रहे हैं। जब ये लोग सरकार में थे तब इन्होंने किसानों का दुख दूर करने के लिए क्या किया ये देश का किसान अच्छी तरह जानता है।
पीएम मोदी ने कहा कि जो किसानों के नाम पर आज आंदोलन कर रहे हैं, जब उनका समय था तब वे चुप थे। जो लोग आंदोलन चला रहे हैं तब वे उस सरकार को समर्थन करते थे। यही लोग स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट के ऊपर सालों तक बैठे थे। हमने आकर निकाला क्योंकि हमारे जीवन का मंत्र किसान की ज़िंदगी का भला करना है।