यूएलएफए (आई) ने असम में सेना के काफिले पर हमले की जिम्मेदारी ली


तिनसुकिया जिले के पेंगेरी-डिगबोई मार्ग पर सोमवार सुबह करीब 9.20 बजे सेना के एक काफिले पर गोलीबारी हुई, जिसके बाद सुरक्षाकर्मियों ने जवाबी फायरिंग की। घटना में किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है।
संगठन के कैप्टन रुमेल असोम ने एक बयान में कहा कि ऑपरेशन लखीपाथर नाम का हमला विरोध दिवस को चिह्न्ति करने के लिए किया गया था, जिसे संगठन 28 नवंबर को मनाता है। उसने कहा: ऑपरेशन में, सेना का एक वाहन क्षतिग्रस्त हो गया और कई जवान घायल हो गए। हालांकि, सेना जनता से अपनी चोटों को छिपाकर अपनी विफलता को छिपाने की कोशिश कर रही है।
इस बीच, असम पुलिस ने मंगलवार को जोरहाट जिले से उल्फा (आई) के एक संदिग्ध लिंकमैन को गिरफ्तार किया। पुलिस सूत्रों के अनुसार, संदिग्ध लिंकमैन ने सेना के काफिले पर घात लगाकर किए गए हमले में उग्रवादियों की कथित तौर पर मदद की। गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान मैना बोरगोहैन के रूप में हुई है। जिसे जिले के काकोजन इलाके से पकड़ा गया था।
गुवाहाटी में डिफेंस पीआरओ लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने सोमवार को जानकारी दी थी कि, डिगबोई-पेंगरी रोड पर आर्मी एरिया डोमिनेशन पार्टी चल रही थी, तभी सुबह करीब 9.20 बजे पास के जंगल से काफिले पर गोलियां चलाई गईं। हमारे सैनिकों की ओर से जवाबी कार्रवाई के बाद उग्रवादी आसपास के इलाकों से भाग गए।
बाद में उन्होंने कहा कि हमलावरों का पता लगाने के लिए विशेष उपकरण, मानव खुफिया और ट्रैकर कुत्तों को कार्रवाई में लगाया गया है। भागे हुए उग्रवादी अपने पीछे बैटरियां, तार, खाद्य सामग्री और धारदार हथियार छोड़ गए।
विशेष रूप से, उल्फा (आई) 1990 में भारतीय सेना द्वारा उग्रवादी संगठन के खिलाफ ऑपरेशन बजरंग शुरु किया गया था, इसी को लेकर संगठन विरोध दिवस मनाता है।
--आईएएनएस
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